दीपावली पर निबंध

भूमिका-भारतीय संस्कृति की झलक यहाँ के त्योहारों में दिखाई देती है। हमारे देश में अनेक धर्मों, सम्प्रदायों तथा संस्कृतियों का अ‌द्भुत संगम है। इसीलिए विभिन्न धर्मों से जुड़े अनेक त्योहार यहाँ धूमधाम से मनाए जाते हैं। हिन्दुओं के त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है।

दीपावली का अर्थ-दीपावली का अर्थ है-दीपों की अवली या पंक्ति । दीपावली का त्योहार कोई एक त्योहार न होकर कई त्योहारों का समूह है, जो कार्तिक मास की अमावस्या को आता है। दीपावली से दो दिन पूर्व ‘धनतेरस’ वाले दिन लोग नए बर्तन खरीदते हैं तथा इन्हें खरीदना शुभमानते हैं। इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा होती है। तथा संध्या के समय दीप जलाकर यमराज की पूजा भी इसी दिन होती है।

शुभ दीपावली
शुभ दीपावली

छोटी दीपावली-अगले दिन चतुर्दशी को नरक चौदस या छोटी दीवाली मनाई जाती है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था तथा उसके कारागार में बन्दी सोलह हजार कन्याओं का उद्धार किया था।

दीपावली का पर्व-अमावस्या के दिन दीपावली का पर्व मनाया जाता है। रात में घरों में रोशनी की जाती है तथा लक्ष्मी-पूजन होता है। घर-घर में रंग-बिरंगी कन्दीले लगाई जाती हैं तथा बच्चे आतिशबाजी चलाकर आनन्दित होते हैं। व्यापारीगण इसी दिन से अपना नया व्यापार शुरू करते हैं।

गोवर्द्धन पूजा-चौथे दिन गोवर्द्धन पूजा की जाती है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने इन्द्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा करने के लिए गोवर्द्धन पर्वत उठाया था। इसी दिन अन्नकूट भी मनाया जाता है। अन्तिम दिन भैया दूज का पावन पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहिनें भाइयों को टीका लगाकर उनकी दीर्घायु की मंगल कामना करती हैं। भैया-दूज को यम-द्वितीया भी कहा जाता है।

पौराणिक तथा ऐतिहासिक संदर्भ-जगमगाती रोशनी के त्योहार दीपावली के साथ अनेक ऐतिहासिक तथा पौराणिक घटनाएँ जुड़ी हैं। इसी दिन श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर रावण पर विजय प्राप्त करके सीता एवं लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे। इसी दिन भगवान विष्णु ने नृसिंह का अवतार लेकर भक्त प्रह्लाद’ की रक्षा की थी तथा उसके पिता हिरण्यकश्यपु का वध किया था। इसी दिन सिखों के छठे गुरु हरगोविन्द सिंह जी को बन्धन-मुक्ति मिली थी। आर्य समाज के प्रवर्तक महर्षि दयानन्द, जैनियों के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी और स्वामी रामतीर्थ ने इसी दिन मोक्ष प्राप्त किया था।

लाभ -इस दिन लोग दीपक जलाते हैं जिनसे कीटाणुओं का नाश होता है। दीपकों के प्रकाश से अमावस्या की रात्रि भी पूर्णिमा में बदल जाती है। बाजारों, घरों तथा दुकानों की सजावट अत्यन्त आकर्षक होती है। लोग अपने इष्ट मित्रों के यहाँ मिठाई आदि का आदान-प्रदान करते हैं। जिससे पारस्परिक सौहार्द बढ़ता है।

दीपावली के प्रति हमारा कर्त्तव्य लोग मानते हैं कि इस दिन धन की देवी लक्ष्मी नंगे पैर संसार में चक्कर लगाती है तथा उसे जो घर प्रकाशमान मिलता है, वहीं निवास करने लगती है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलकर अपनी किस्मत आजमाते हैं, परन्तु इस कुरीति को हटाया जाना चाहिए। पटाखों तथा आतिशबाजी के अधिक प्रयोग से धन की हानि होती है तथा दुर्घटनाएँ भी घटती हैं, अतः धन की अनावश्यक बरबादी पर भी अंकुश लगाना हमारा कर्तव्य है।

उपसंहार-दीपावली एक पवित्र त्योहार है, अतः हमें दीपक जलाकर यह प्रतिज्ञा करनी चाहिए कि जिस प्रकार दीपक अंधकार को दूर करते हैं, उसी प्रकार हम भी अंधविश्वासों, घृणा और बुराइयों के अन्धकार को दूर कर दें तथा इस त्योहार की पवित्रता को बनाए रखें।

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