सभी मित्रों का स्वागत है हमारी वैबसाइट भाषा Grammar पर आज का विषय है पद परिचय (Parsing) की परिभाषा और विशेषता। तो चलिये इसके बारे मे अच्छे से जानते हैं।
आप पढ़ चुके हैं कि वाक्य में प्रयुक्त शब्दों को ‘पद’ कहते हैं। वाक्य में प्रयुक्त पदों के सम्बन्ध में जानकारी देना ही पद – परिचय कोई नई चीज़ नहीं है। पहले से पढ़ी हुई जानकारी के आधार पर पद-परिचय किया जाता है। जैसे हम किसी व्यक्ति का परिचय कराते समय उसका नाम, काम, स्थान आदि के बारे में बताते हैं, उसी प्रकार किसी भी वाक्य में आए संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, सम्बन्धबोधक आदि शब्दों का व्याकरण की दृष्टि से परिचय करना अर्थात उनके भेद, वचन, लिंग, कारक, कल तथा अन्य शब्दों से सम्बन्ध आदि की जानकारी देना ही पद-परिचय कहलता है। पद परिचय को कुछ लोग शब्द-बोध भी कहते हैं।
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पद परिचय (Parsing) की परिभाषा और विशेषता |
वाक्य में प्रयोग किए गए प्रत्येक शब्द का व्याकरण की दृष्टि से पूर्ण परिचय देना ‘पद परिचय’ कहा जाता है।
पिछले पोस्टों में आप पढ़ चुके हैं कि (पद) आठ प्रकार के होते हैं – संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, क्रियाविशेषण, सम्बन्धबोधक तथा विस्मयादिबोधक। इनमें से प्रत्येक शब्द (पद) के परिचय में क्या – क्या बताया जाना आवश्यक है, उस पर प्रकाश डाला जा रहा है।
संज्ञा का पद – परिचय (Parsing ऑफ Noun)
संज्ञा के पद – परिचय में पाँच बातें बताना आवश्यक हैं:
- भेद – (व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक)
- लिंग -(पुल्लिंग, स्त्रीलिंग)
- वचन – (एकवचन, बहुवचन)
- कारक – (कर्त्ता, कर्म, कारण संप्रदान, अपादान, सम्बंध, अधिकरण, सम्बोधन)
- सम्बन्ध – (क्रिया या अन्य शब्दों से सम्बन्ध)
उदाहरण 1. ममता की मारी माता ने अपने घायल बच्चे को तुरंत उठा लिया।
- ममता की – भाववाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, सम्बन्ध कारक; सम्बन्धी शब्द ‘मारी’।
- माता ने – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग, करता कारक: ‘उठा लिया’ क्रिया का कर्त्ता।
- बच्चे को – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्मकारक: ‘उठा लिया’ क्रिया का कर्म।
उदाहरण 2: हिमालय संसार का सबसे ऊँचा पर्वत है।
हिमालय – व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, करता कारक; है क्रिया का कर्त्ता।
पर्वत – जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक; है ‘क्रिया का कर्म, पूरक की भाँति प्रयुक्त।
सर्वनाम का पद-परिचय (Parsing of Pronoun)
सर्वनाम के पद-परिचय में निम्नलिखित बातें बताना आवश्यक होता है:
- भेद – (पुरूषवाचक, निश्चयवाचक, आनिश्चयवाचक, सम्बंधवाचक, प्रश्नवाचक, निजवाचक)
- लिंग – (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग)
- वचन – (एकवचन, बहूवचन)
- पुरुष – (केवल पुरुषवाचक सर्वनाम में उत्तम पुरुष, माध्यम पुरुष, अन्य पुरुष)
- कारक – (कर्त्ता, कर्म, करण, संप्रदान, अपादान, सम्बंध, अधिकरण)
- सम्बंध – (क्रिया के साथ सम्बंध)
उदाहरण 1. वह विश्वास के योग्य नहीं हैं।
वह – पुरुषवाचक सर्वनाम, अन्य पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक; ‘है’ क्रिया का कर्त्ता ।
उदाहरण 2. मोहन ने मुझे बताया कि बाहर कोई बुला रहा है।
मुझे – पुरुषवाचक सर्वनाम, मध्यम पुरुष, एकवचन, पुल्लिंग या स्त्रीलिंग, कर्म कारक, ‘बताया’ क्रिया का कर्म
कोई – सर्वनाम अनिश्चयवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, कर्त्ता कारक: ‘बुला रहा है’ क्रिया का कर्ता।
विशेषण का पद-परिचय (Parsing of Adjective)
विशेषण के पद-परिचय में निम्नलिखित बातें बताई जाती हैं :
- भेद – (गुणवाचक संख्यावाचक, परिमाणवाचक सार्वनामिक या संकेतवाचक)।
- लिंग – (पुंल्लिंग, स्त्रीलिंग) ।
- वचन– (एकवचन बहुवचन)।
- अवस्था – (मूलावस्था उत्तरावस्था, उत्तमावस्था केवल गुणवाचक विशेषण में) ।
- विशेष्य– (जिसकी विशेषता बताई जाती है-वह शब्द)
उदाहरण 1. पके आम बड़े मधुर होते हैं।
पके-गुणवाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, मूलावस्था, विशेष्य- ‘आम’ ।
मधुर – गुणवाचक विशेषण, पुंल्लिंग, बहुवचन, मूलावस्था, विशेष्य- ‘आम’ ।
उदाहरण 2. हवाई अड्डे से चार विमान उडे ।
चार-निश्चित संख्यावाचक विशेषण, पुल्लिंग, बहुवचन, विशेष्य- ‘विमान’ ।
क्रिया का पद परिचय (Parsing of Verb)
क्रिया के पद-परिचय में निम्नांकित बातों का उल्लेख किया जाता है :
(क) भेद – (अकर्मक, सकर्मक) अन्य भेद-प्रेरणार्थक, पूर्वकालिक –
(ख) काल – (भूतकाल, भविष्यत् काल, वर्तमान काल ) ।
(ग) वाच्य – (कर्तृवाच्य, कर्मवाच्चा, भाववाच्य)। “क
(घ) लिंग – (पुल्लिंग, स्त्रीलिंग) |
(ङ) वचन – (एकवचन बहुवचन)।
(च) पुरुष (उत्तम पुरुष, मध्यम पुरुष, अन्य पुरुष ) ।
(छ) सम्बन्ध – ( अन्य शब्दों से सम्बन्ध) ।
उदाहरण 1. ममता की मारी माता ने अपने घायल बच्चे को उठा लिया।
उठा लिया – सकर्मक क्रिया, एकवचन, कर्तृवाच्य सामान्य भूतकाल, पुल्लिंग, अन्य पुरुष; कर्त्ता- ‘माता ने’ कर्म- ‘बच्चे को’ ।
उदाहरण 2. पके आम बड़े मधुर होते हैं।
होते हैं-अकर्मक क्रिया, बहुवचन, कर्तृवाच्य, सामान्य वर्तमान काल, पुल्लिंग, अन्य पुरुषः कर्त्ता- पके आम’, पूरक- ‘मधुर’ ।
क्रियाविशेषण का पद-परिचय (Parsing of Adverb)
क्रियाविशेषण के पद-परिचय में केवल दो बातें लिखना आवश्यक है :
(क) भेद (कालवाचक, स्थानवाचक, परिमाणवाचक, रीतिवाचक) ।
(ख) वह क्रिया जिसकी विशेषता बताई जाती है।
उदाहरण 1. वह धीरे-धीरे चल रहा था। 2. तुम बहुत बोलते हो।
धीरे-धीरे – रीतिवाचक क्रियाविशेषण, ‘चल रहा था-क्रिया की विशेषता बताता है।
बहुत – परिमाणवाचक क्रियाविशेषण, ‘बोलते हो’ -क्रिया की विशेषता बताता है।
सम्बन्धबोधक का पद परिचय (Parsing of Post-Position)
सम्बन्धबोधक के पद परिचय में केवल दो बातों का उल्लेख किया जाता है:
1. भेद (कालवाचक, स्थानवाचक, दिशावाचक कारणवाचक, तुलनावाचक, साधनवाचक, उद्देश्यवाचक, समानतावाचक, विरोधवाचक)।
2. सम्बन्ध (सम्बन्धी शब्द) ।
उदाहरण– वह विश्वास के योग्य नहीं है।
के योग्य – समानतावाचक सम्बन्धबोधक, ‘विश्वास’ और है’ का सम्बन्ध प्रकट करने वाला शब्द ।
समुच्चयबोधक का पद-परिचय (Parsing of Conjunction)
इसके पद परिचय में भी केवल दो बातों का उल्लेख किया जाता है
(क) भेद – ( समानाधिकरण तथा व्यधिकरण) ।
(ख) योजित शब्द या वाक्य– (जिन्हें मिलाता है)।
उदाहरण– यह घड़ी मेरे भाई की है. इसलिए मैं इसे किसी को नहीं दे सकता।
इसलिए समानाधिकरण समुच्चयबोधक, ‘यह घड़ी मेरे भाई की है तथा मैं इसे किसी को नहीं दे सकता-इन दो वाक्यों को जोड़ता है।
विस्मयादिबोधक का पद परिचय (Parsing of Interjection)
विस्मयादिबोधक के पद-परिचय में केवल यह बताया जाता है, कि यह कौन-सा भाव व्यक्त कर रहा है।
उदाहरण- अरे ! आज गाड़ी ठीक समय पर आई है। अरे विस्मयादिबोधक, आश्चर्यसूचक।