वाच्य (Voice) – परिभाषा, भेद और परिवर्तन

Category: हिंदी व्याकरण

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नमस्कार मित्रों इन अध्याय मे हम वाच्य (Voice) – परिभाषा, भेद और परिवर्तन के बारे में पढ़ेंगे। 

यह भी पढ़ें – क्रियाविशेषण (Adverb) की परिभाषा, भेद और उदाहरण

वाच्य (Voice) - परिभाषा, भेद और परिवर्तन
वाच्य (Voice) – परिभाषा, भेद और परिवर्तन

नीचे दिये गए वाक्यों को पढिए तथा इनमें प्रयुक्त क्रियाओं पर ध्यान दीजिये:

क. 1. मैं क्रिकेट खेलता हूँ।

  2. राम सच बोलता है।

3. सुशीला फल खरीद रही है।

ख. 1. मुझसे क्रिकेट खेली जाती है।

2. राम से सच बोला जाता है।

3. सुशीला से फल खरीदे जा रहे हैं।

ग. 1. मुझसे क्रिकेट नहीं खेली जाती।

2. राम से सच बोला नहीं जाता।

3. सुशीला से फल खरीदे नहीं जाते।

‘क’ वर्ग के सभी वाक्यों की क्रियाएँ अपने -आने कर्त्ता के लिंग तथा वचन के अनुसार प्रयोग की गई हैं:

  • मैं (कर्त्ता) खेलता हूँ (क्रिया)
  • राम (कर्त्ता) बोलता है (क्रिया)
  • सुशीला (कर्त्ता) खरीद रही है (क्रिया)
‘ख’ वर्ग के सभी वाक्यों की क्रियाएँ अपने – अपने कर्म के लिंग तथा वचन के अनुसार प्रयोग की गई हैं।
  • क्रिकेट (कर्म) खेली जाती है (क्रिया)
  • सच (कर्म) बोला जाता है (क्रिया)
  • फल (कर्म) खरीदे जा रहे हैं (क्रिया)
‘ग’ वर्ग के सभी वाक्यों की क्रियाएँ न तो अपने -अपने कर्त्ता के लिंग और वचन के अनुसार प्रयोग की गई हैं और न ही कर्म के लिंग, वचन के अनुसार ये क्रियाएँ ‘भाव’ के अनुसार प्रयोग की गयी हैं।
क्रियाओं के इसी विधान को वाच्य कहा जाता है।
क्रिया के जिस रूप से यह विदित हो कि उसके लिंग तथा वचन का प्रयोग, कर्त्त, कर्म या भाव में से किसके अनुसार किया गया है, वाच्य कहलाता है।
वाच्य (Voice) - परिभाषा, भेद और परिवर्तन
वाच्य (Voice) – परिभाषा, भेद और परिवर्तन

वाच्य के भेद

हिन्दी में निम्नलिखित तीन वाच्य होते हैं:

  1. कर्तृवाच्य
  2. कर्मवाच्य
  3. भाववाच्य
कर्तृवाच्य (Active Voice) – क्रिया के जिस रूप से यह पता चले कि वाक्य में उसका प्रयोग कर्त्ता के लिंग और वचन के अनुसार किया जाता है, उसे कर्तृवाच्य कहा जाता है । जैसे – 
  • मोहन रोटी खाता है।
  • लड़की सेब खाती है।
  • अध्यापक पाठ पढ़ाते हैं।
  • तुम खेलते हो।
कर्मवाच्य (Passive Voice) – क्रिया के जिस रूप से यह विदित हो कि वाक्य में उसका प्रयोग ‘कर्त्ता’ के लिंग, वचन के अनुसार न होकर ‘कर्म’ के लिंग, वचन के अनुसार किया गया है, उसे कर्मवाच्य कहा जाता है । जैसे
  • मोहन से रोटी खाई जाती है।
  • लड़की से सेब खाया जाता है।
  • अध्यापक से पाठ पढ़ाया जाते है।
  • कवियों द्वारा कविताएं लिखी जाती हैं।
 भाववाच्य (Impresonal Voice) – वाक्य में क्रिया का प्रयोग जब कर्त्ता या कर्म  के लिंग, वचन के अनुसार न होकर भाव के अनुसार से होता हैं, तो उसे भाववाच्य के नाम से जाना जाता है। जैसे – 
  • राम से चला नहीं जाता।
  • लड़की से सोया नहीं जाता।
  • मुझसे बोला नहीं जाता।

वाच्य परिवर्तन

कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना (From Active Voice to Passive Voice)
  • कर्त्ता के साथ ‘से’, ‘द्वारा’ या ‘के द्वारा’ जोड़ दीजिये।
  • क्रिया में ‘आ’ अथवा ‘या’ जोड़ दीजिये तथा उसके बाद ‘जा’ धातु का कर्म के लिंग, वचन, काल तथा पुरुष के अनुसार प्रयोग कीजिये।
  • कर्म के साथ लगी विभक्ति को हटा दीजिये। जैसे – 

क्र.सं.

कर्तृवाच्य

कर्मवाच्य

1. 

राम पेड़ लगता है।

राम द्वारा पेड़ लगाया जाता है।

2. 

मैं कविता पढ़ता हूँ।

मुझसे कविता पढ़ी जाती है।

3. 

नौकर कपड़े धोता है।

नौकर द्वारा कपड़े धोए जाते हैं।

4. 

धोबी  चादरें धोता है।

धोबी से (के द्वारा) चादरें धोई जाती हैं।

कर्तृवाच्य से भाववाच्य बनाना  (From Active Voice to Impersonal Voice)

  • क्रिया को अन्य पुरुष (Third Person) एकवचन में कर दिया जाता है। तथा कर्त्ता के साथ ‘से’ जोड़ा जाता है।
  • क्रिया को सामान्य भूत में बादल दिया जात है और कल के अनुसार ‘जाना’ क्रिया का रूप जोड़ दिया जाता है। जैसे – 

क्र.सं.

कर्तृवाच्य

भाववाच्य

1. 

वह नहीं चलता है।

उससे चला नहीं जाता। (क्रिया, अन्य पुरुष, एक वचन)

2. 

शांता खाना नहीं बनती है।

शांता से खाना बनाया नहीं जाता (क्रिया, अन्य पुरुष, एक वचन)

3. 

बच्चा नहीं बैठता।

बच्चे से बैठा नहीं जाता (क्रिया, अन्य पुरुष, एक वचन)

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