सन्धि (Joining) कि परिभाषा और इसके भेद

Category: हिंदी व्याकरण

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 नमस्कार मित्रों आज हम अपनी वैबसाइट भाषा Grammar पर आज के अध्याय मे हम लोग सन्धि (Joining) कि परिभाषा और इसके भेद के बारे मे पढ़ेंगे।

नीचे दिये गए शब्दों को ध्यान से पढ़ें:

  1. पुस्तक + आलय = पुस्तकालय (अ + आ = आ)
  2. रमा + ईश = रमेश (आ + ई = ए)
  3. पर  + उपकार = परोपकार (अ + उ = ओ)
  4. सु + आगत = स्वागत (उ + आ = वा)
  5. तथा + एव = तथैव (आ + ए = ऐ)
  6. प्रति + एक  = प्रत्येक (इ + ए = ये)
  7. पो + अन = पवन (ओ + अ =व)
  8. सत् + जन  = सज्जन (त् + ज = ज्ज)
  9. नि: + धन  = निर्धन (: + ध = र्ध)
सन्धि (Joining) कि परिभाषा और इसके भेद
सन्धि (Joining) कि परिभाषा और इसके भेद
उपर्युक्त सभी शब्दों में पास-पास आने वाले दो वर्णों का मेल हुआ है तथा इसी मेल के कारण विकार (परिवर्तन) भी हुआ है। जैसे – पहले शब्द ‘पुस्तकालय’ में अ+आ से ‘आ’, दूसरे शब्द ‘रमेश’  में आ+ई; से ‘ए’ तीसरे शब्द ‘परोपकार’ में अ+उ से ‘ओ’; चौथे शब्द ‘स्वागत’ में उ+आ से ‘वा’ आदि परिवर्तन हुआ है। ये सभी संधि के उदाहरण हैं।
वर्णों के पारस्परिक मेल से जो विकार (परिवर्तन) उत्पन्न होता है, उसे सन्धि कहा जाता है।

सन्धि के भेद

सन्धि के भेद

सन्धि के तीन भेद हैं:

  1. स्वर सन्धि 
  2. व्यंजन सन्धि
  3. विसर्ग सन्धि

स्वर सन्धि

दो स्वरों के मेल को स्वर सन्धि कहते हैं। जैसे – रवि + इन्द्र = रवीन्द्र। यहाँ पहले शब्द की अंतिम ध्वनि ‘इ’ स्वर है दूसरे शब्द की पहली ध्वनि भी ‘इ’ स्वर है। इस प्रकार इ + इ के मेल से ‘ई’ हो गया है।

स्वर सन्धि के निम्नलिखित पाँच भेद हैं

  • दीर्घ सन्धि – किसी स्वर के ह्रस्व या दीर्घ रूप के बाद यदि उसी स्वर का ह्रस्व या दीर्घ रूप आए तो दोनों मिलकर दीर्घ हो जाते हैं। उसे दीर्घ सन्धि कहते हैं।
  • गुण सन्धि – जब अ, आ का संयोग इ, ई तथा ऋ से होता है तथा क्रमश: ए, ओ और अर् हो जाते हैं, तो गुण संधि कहलाती है। जैसे – 
  • वृद्धि सन्धि – जब अ, आ का ए, ऐ से मेल होने पर ‘ऐ’ तथा अ, आ का ओ, से मेल होने पर ‘औ’ हो जाता है, तो इस मेल को वृद्धि संधि कहते हैं जैसे – 
  • यण् सन्धि – हृस्व या दीर्घ इ, उ, ऋ के पश्चात् यदि अन्य असमान स्वर आता है तब इ, ई को य्; उ, ऊ, को व् और ऋ का र् जाता है। इसे यण् सन्धि कहा जाता है।
  • अयादि सन्धि – अयदि सन्धि में ‘ए’ के पश्चात आसमान स्वर आ जाने पर ‘अय’ हो जाता अहि; ‘ऐ’ के पश्चात आसमान स्वर आ जाने से ‘आय’ हो जाता है; ‘ओ’ के पश्चात आसमान स्वर आ जाने से ‘अव’ हो जाता है तथा ‘औ’ के पश्चात आसमान स्वर आ जाने पर ‘आव’ हो जाता है। जैसे – 

व्यंजन सन्धि

(Conjunction of a consonant with a vowel or a consonant)
व्यंजन तथा स्वर का, स्वर तथा व्यंजन का या व्यंजन तथा व्यंजन का मेल होने से जो परिवर्तन होता है, उसे व्यंजन सन्धि कहा जाता है।

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