समुच्चबोधक (Conjunction) की परिभाषा और इसके भेद

समुच्चबोधक (Conjunction) की परिभाषा और इसके भेद

नमस्कार मित्र गण, आप सभी के लिए इस अध्याय में समुच्चबोधक (Conjunction) की परिभाषा और इसके भेद के बारे मे पढ़ेंगे और आशा करेंगे की आपको सही ज्ञान दे पाएँ।

नीचे दिये गए कुछ वाक्यों को ध्यान पूर्वक पढिए :

  • विज्ञान अथवा काला में से एक को चुन लो।
  • राम, लक्षण और सीता वन को गए।
  • वर्षा होती तो फसलें लहलहाएंगी।
  • सभी जानते हैं कि प्रथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।
  • सावधानी से साइकिल चलना अन्यथा गिर पड़ोगे।
समुच्चबोधक (Conjunction) की परिभाषा और इसके भेद

इन वाक्यों में मोटे (काले) शब्दों पर ध्यान दीजिये। ये सभी शब्द अपने - अपने वाक्य में एक से अधिक शब्दों, वाक्यांशों या उपवाक्यों को जोड़ रहे हैं। पहले वाक्य में 'अथवा' शब्द दो शब्दों - 'विज्ञान' तथा 'कला' को; दूसरे वाक्य में 'और' शब्द - 'राम', 'लक्ष्मण' और 'सीता' को; तीसरे वाक्य में 'तो', शब्द - 'वर्षा होगी' तथा 'फसलें लहलहाएंगी' - दो उपवाक्यों को; चौथे; वाक्य में 'कि' शब्द 'सभी जानते हैं' और 'पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है' - दो उपवाक्यों को तथा अंतिम वाकई में 'अन्यथा' शब्द 'साइकिल सावधानी से चलाना' और 'गिर पड़ोगे' - दो उपवाक्यों को जोड़ रहे हैं । ये सभी समुच्चयबोधक के उदाहरण हैं।

समुच्चयबोधक के भेद

समुच्चयबोधक के भेद

समुच्चयबोधक अव्यय दो प्रकार के होते हैं:

  1. समानाधिकरण समुच्चयबोधक (Co- ordinate Conjuction)
  2. व्यधिकरण समुच्चयबोधक (Subordinate Conjunction)

समानाधिकरण समुच्चयबोधक 

  • सुशीला और संगीता स्वेटर बुन रही हैं।
  • दुर्योधन वीर था परंतु  अहंकारी तथा क्रोधी भी।
इन वाक्यों में काले (मोटे) शब्द समुच्चयबोधक हैं। दोनों वाक्य के समान पदों तथा उपवाक्यों को जोड़ रहे हैं। 'सुशीला', 'संगीता' समान पद हैं। तथा दूसरे वाक्य में 'दुर्योधन वीर था', 'अहंकारी तथा क्रोधी भी' - दो समान उपवाक्य हैं। भाव यह है कि इनमें से कोई किसी पर आश्रित नहीं है। ये सभी समानाधिकरण समुच्चयबोधक के उदाहरण हैं।
जो समुच्चयबोधक समान स्थिति वाले अर्थात स्वतंत्र शब्दों (पदों), वाक्यांशों या उपवाक्यों को समानता के आधार पर एक-दूसरे से जोड़ते हैं, उन्हें समानाधिकरण समुच्चयबोधक कहा जाता है। जैसे - और, एवं, तथा, किन्तु, परंतु, मगर, या, इसलिए आदि ।
समानाधिकरण समुच्चयबोधक मुकया रूप से चार प्रकार से प्रयोग किए जा सकते हैं।
  1. दो पदों, वाक्यांशों या वाक्यों को जोड़ने के लिए; जैसे मोहन और शेखर पढ़ रहे हैं। श्री राम ने माता कैकेयी की बात सुनी और वे वन गमन को तैयार हो गए।
  2. भेद प्रकट करते हुए जिनमें एक के ग्रहण और दूसरे के त्याग का बोध हो; जैसे - तुम पढ़ोगे या मर खाओगे?
  3. दो उपवाक्यों का विरोध बतलाते हुए जोड़ने में; जैसे - वह विद्यालय आया परंतु पुस्तकें नहीं लाया।
  4. दो उपवाक्यों को इस प्रकार जोड़ते हुए कि दूसरा उपवाक्य पहले उपवाक्य  के परिणाम का बोध कराए। जैसे - प्रात: कल से ही वर्षा हो रही थी इसलिए पिता जी आज दफ़्तर नहीं गए

व्यधिकरण समुच्चयबोधक 

  1. अध्यापक ने बच्चों से कहा कि कल मैं नहीं आऊँगा।
  2. भारत हॉकी में हर गया क्योंकि उसके खिलाड़ियों में उचित ताल-मेल नहीं था।
  3. खूब मन लगाकर पढ़ो ताकि अच्छे अंक प्राप्त कर सको।
  4. परिश्रम करोगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।
इन वाक्यों में काले (मोटे) शब्द समुच्चयबोधक हैं। ये सभी दो उपवाक्यों को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। इन वाक्यों को देखने से स्पष्ट होता है कि इन वाक्यों में एक मुख्य उपवाक्य है तथा दूसरा उसका आश्रित उपवाक्य। 'कि', 'क्योंकि', 'ताकि', 'तो' जैसे समुच्चयबोधक को व्यधिकरण समुच्यबोधक कहा जाता है।
व्याधिकरण समुच्चयबोधक मुख्य उपवाक्य से उसके आश्रित उपवाक्य को जोड़ने का कार्य करता है। व्यधिकरण समुच्चयबोधक मुख्य रूप से चार प्रकार से प्रयोग किए जा सकते हैं:
  1. मुख्य उपवाक्य कि बात का कारण बताते हुए; जैसे - उसका पैर फिसल गया क्योंकि रास्ते में फिसलन थी।
  2. मुख्य वाक्य कि बात का उद्देश्य बताते हुए; जैसे  - मन लगाकर पढ़ो ताकि प्रथम आ सको।
  3. संकेतवाचक; जैसे - यदि वह परिश्रम करेगा तो सफल भी होगा। यधपी वह निर्धन है तथापि अत्यंत ईमानदार भी है।
  4. मुख्य वाक्य के कथन को खोलकर रखने के लिए; जैसे - बड़े ज़ोरों कि हवा चल रही थी मानो तूफान आ गया हो
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